expr:class='data:blog.pageType'>

द्रोपदी मुर्मू

 द्रौपदी मुर्मू  (जन्म : 201 जून दिसंबर 58)  भारत  की  माध्यमिक और वर्तमान  राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह  भारतीय जनता पार्टी  (भाजपा) की सदस्या थी। [1]  वह  भारत की राष्ट्रपति  के रूप में जाने वाली जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति हैं। मुर्मू,  प्रतिभा पाटिल  के बाद भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला हैं।प्रबुद्ध समाज द्रौपदी मुर्मू को लगता है कि महिला सम्राट से अलंकृत किया है! राष्ट्रपति पद को संभालने वाले  ओडिशा  के दूसरे व्यक्ति हैं और देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति हैं। मुर्मू  भारत की आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। [2]  राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने 200 से 2004 के बीच  ओडिशा सरकार  के कैबिनेट में अलग-अलग एकॉर्ड में सेवा दी। 211 से 21 तक  झारखंड के नौवें राज्यपाल के  पद पर कार्यभार संभाला


निजी जीवन  

पूरा नाम  = द्रोपदी मुर्मू
जन्म तिथि =  20 जून 1958
जन्म स्थान = बिदापोसी गांव, मुरभंज,(ओडिशा)
पार्टी का नाम = भारतीय जनता पार्टी
शिक्षा = स्नातक
व्यवसाय =शिक्षक, समाजसेवी, राजनेता
पिता का नाम = बिरंचि नारायण तुडू
माता का नाम = किंगो टुडू
पति  का नाम = स्व.श्याम चरण मुर्मू
पति का व्यवसाय   = बैंक कर्मचारी
संतति = 2 पुत्र, 1 पुत्र 

द्रोपदी मुर्मू जी का राजनीतिक करियर : 


द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बनने वाली हैं। चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को काफी पीछे छोड़ दिया। उनकी जीत के साथ ही भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय जुड़ा हुआ है। बता दें कि द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त करेंगी। चुनाव की शुरुआत से ही ओडिशा की द्रौपदी मुर्मू की जीत तय होने वाली थी। अपने जीवन में अनगिनत संघर्षों के बाद द्रौपदी मुर्मू इस मुकाम को हासिल करने वाले हैं। आइए इस खबर में हम आपको उम्मीदवार हैं, उनकी शिक्षा, राजनीतिक करियर आदि के बारे में सब कुछ -:

1. संथाल आदिवासी परिवार में हुआ जन्म 
:-
64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर (उपरबेड़ा ) की रहने वाली हैं। उनका जन्म 20 जून 1958 को एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई उपरबेड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से की थी। इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। 

2.  शिक्षिका की भी भूमिका निभाई :-

द्रौपदी मुर्मू को पढ़ने-पढ़ाने का भी काफी शौक रहा है। उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में शिक्षिका की भी भूमिका निभाई है। रायरंगपुर के ही श्री अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में उन्होंने शिक्षिका के तौर पर काम किया। इसके अलावा वह ओडिशा सरकार में सिंचाई व उर्जा विभाग में जूनियर असिस्टेंट के पद पर भी रहीं।

3.  मुसीबतों से नहीं मानी हार :-

द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी संघर्षों भरा रहा। उनके पति श्यामचंद्र मुर्मू की असमय मौत तो हुई ही। साथ ही साथ उनके दो बेटों की भी असमय ही मृत्यु हो गई। हालांकि, उन्होंने इन हादसों से हार नहीं मानी और समाज की ओर अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहीं। बता दें कि उनकी एक बेटी इतिश्री मुर्मू हैं। 

4 .वार्ड काउंसलर बन की राजनीतिक करियर की शुरुआत :-

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आज से 25 साल पहले एक वार्ड काउंसलर के रूप में शुरू की थी। इसके बाद वह विधायक भी बनीं। वह रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं हैं। साल 2015 में उन्होंने झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। खास बात यह रही कि उन्हें कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राज्य की राज्यपाल बनाए रखा गया। आदिवासी हितों का ध्यान रखने वाली मुर्मू को सभी दलों की ओर से सराहना मिलती रही है।


                   ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.